पृष्ठ

शुक्रवार, 27 अप्रैल 2012

ग़ज़ल : सच बोलो तो हकलाओ मत

खुद को खुद ही झुठलाओ मत
सच बोलो तो हकलाओ मत

भीड़ बहुत है मर जाएगा
अंधे को पथ बतलाओ मत

दिल बच्चा है जिद कर लेगा
दिखा खिलौने बहलाओ मत

ये दुनिया ठरकी कह देगी
चोट किसी की सहलाओ मत

फिर से लोग वहीं मारेंगे
घाव किसी को दिखलाओ मत

2 टिप्‍पणियां:

  1. घाव किसी को दिखलाओ मत ||

    बढ़िया प्रस्तुति ।
    आभार ।

    जवाब देंहटाएं
  2. फिर से लोग वहीं मारेंगे
    घाव किसी को दिखलाओ मत
    sach kaha duniya aisi hi hae

    जवाब देंहटाएं

जो मन में आ रहा है कह डालिए।