खुद को खुद ही झुठलाओ मत
सच बोलो तो हकलाओ मत
भीड़ बहुत है मर जाएगा
अंधे को पथ बतलाओ मत
दिल बच्चा है जिद कर लेगा
दिखा खिलौने बहलाओ मत
ये दुनिया ठरकी कह देगी
चोट किसी की सहलाओ मत
फिर से लोग वहीं मारेंगे
घाव किसी को दिखलाओ मत
यकीनन ग्रेविटॉन जैसा ही होता है प्रेम का कण। तभी तो ये मोड़ देता है दिक्काल को / कम कर देता है समय की गति / इसे कैद करके नहीं रख पातीं / स्थान और समय की विमाएँ। ये रिसता रहता है एक दुनिया से दूसरी दुनिया में / ले जाता है आकर्षण उन स्थानों तक / जहाँ कवि की कल्पना भी नहीं पहुँच पाती। इसका प्रत्यक्ष प्रमाण अभी तक नहीं मिला / लेकिन ब्रह्मांड का कण कण इसे महसूस करता है।
घाव किसी को दिखलाओ मत ||
जवाब देंहटाएंबढ़िया प्रस्तुति ।
आभार ।
फिर से लोग वहीं मारेंगे
जवाब देंहटाएंघाव किसी को दिखलाओ मत
sach kaha duniya aisi hi hae