खट्टी मीठी यादें
समय का अचार और मुरब्बा हैं
हमें क्यों बेहूदा लगते हैं वो शब्द
जो हमारी भाषा के शब्दकोश में नहीं होते
प्रेम को महान बनाने के चक्कर में
उसे हिजड़ा बना दिया गया
हिजड़े सारी दुनिया को हिजड़ा बनाना चाहते हैं
मूर्तियाँ सोने का मुकुट पहनकर
भूखे इंसानों को सपने में रोटी दिखाती हैं
भूख से मरता हुआ इंसान कूड़े में फेंकी जूठन भी खाता है
सच अगर कड़वा है
तो उस पर शहद डालने की बजाय
खुद को उसके स्वाद का अभ्यस्त बनाना बेहतर है
अँधेरे कमरे में बंद आदमी
न जिंदा होता है न मुर्दा
क्या मेरे खून में दौड़ते हुए कीड़े
तुम्हारा प्यार भी खा जाएँगें
ईश्वर से चमत्कार की आशा करना
खुद को मीठा जहर देने की तरह है
शायद मेरे मर जाने से दुनिया ज्यादा बेहतर हो जाएगी
तुमने बनाए कुछ नियम और दूर खड़े हो गए
कैसे भगवान हो तुम!
यकीनन ग्रेविटॉन जैसा ही होता है प्रेम का कण। तभी तो ये मोड़ देता है दिक्काल को / कम कर देता है समय की गति / इसे कैद करके नहीं रख पातीं / स्थान और समय की विमाएँ। ये रिसता रहता है एक दुनिया से दूसरी दुनिया में / ले जाता है आकर्षण उन स्थानों तक / जहाँ कवि की कल्पना भी नहीं पहुँच पाती। इसका प्रत्यक्ष प्रमाण अभी तक नहीं मिला / लेकिन ब्रह्मांड का कण कण इसे महसूस करता है।
व्यथा-कथा ।
जवाब देंहटाएंप्रभावी ।।
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