आज चाँद मेरा आधा है
उखड़ा है ये सुंदर मुखड़ा
फूले गाल सुनाते दुखड़ा
सूज गईं हैं दोनों आँखें और नमी इनमें ज्यादा है
बात कही किसने क्या ऐसी
क्यूँ आँगन में रात रो रही
दिल का दर्द छुपाता है ये, ऐसी भी क्या मर्यादा है?
घबरा मत ओ चंदा मेरे
दुख की इन सूनी रातों में
तेरे सिरहाने बैठूँगा, साथ न छोड़ूँगा वादा है
ap to hamesha umda hi likhte hai ...ye bhi unme se ek hai
जवाब देंहटाएंबहुत खूब सर!
जवाब देंहटाएंसादर
bahut pyaari rachna...
जवाब देंहटाएंख़ूब, बहुत ख़ूब!
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