पृष्ठ

शनिवार, 4 फ़रवरी 2012

नवगीत : आज चाँद मेरा आधा है

आज चाँद मेरा आधा है

उखड़ा है ये सुंदर मुखड़ा
फूले गाल सुनाते दुखड़ा
सूज गईं हैं दोनों आँखें और नमी इनमें ज्यादा है

बात कही किसने क्या ऐसी
क्यूँ आँगन में रात रो रही
दिल का दर्द छुपाता है ये, ऐसी भी क्या मर्यादा है?

घबरा मत ओ चंदा मेरे
दुख की इन सूनी रातों में
तेरे सिरहाने बैठूँगा, साथ न छोड़ूँगा वादा है

4 टिप्‍पणियां:

जो मन में आ रहा है कह डालिए।