यकीनन ग्रेविटॉन जैसा ही होता है प्रेम का कण।
तभी तो ये मोड़ देता है दिक्काल को /
कम कर देता है समय की गति /
इसे कैद करके नहीं रख पातीं /
स्थान और समय की विमाएँ।
ये रिसता रहता है एक दुनिया से दूसरी दुनिया में /
ले जाता है आकर्षण उन स्थानों तक /
जहाँ कवि की कल्पना भी नहीं पहुँच पाती।
इसका प्रत्यक्ष प्रमाण अभी तक नहीं मिला / लेकिन ब्रह्मांड का कण कण इसे महसूस करता है।
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गुरुवार, 12 जनवरी 2012
एक मुक्तक
न कर विश्वास तारों का तुझे अक्सर दगा देंगे
लगें ये दूर से अच्छे जो पास आए जला देंगे।
अँधेरी रात को ही जगमगाना इनकी फितरत है
ये सच की रौशनी में झट से मुँह अपना छिपा लेंगे।
बहुत बढ़िया
जवाब देंहटाएंअतिसुन्दर बधाई
जवाब देंहटाएंगहन भाव
जवाब देंहटाएंखूब-सूरत प्रस्तुति |
जवाब देंहटाएंबहुत-बहुत बधाई ||
... बेहद प्रभावशाली
जवाब देंहटाएंसत्य!
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