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बुधवार, 4 जनवरी 2012

क्षणिका : चर्बी

वो चर्बी
जिसकी तुम्हें न अभी जरूरत है
न भविष्य में होगी
वो किसी गरीब के शरीर का मांस है

8 टिप्‍पणियां:

  1. गरीब के शरीर का मांस = चर्बी

    sahi hai .

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  2. bhut sahi kaha aapne....bahut khoob
    welcome to my blog

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  3. चर्बी का सही विश्लेषण। बहुत सुंदर!

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  4. बहुत ही करारा व्यंग हैं शोषण करने वाले धनाढ्य वर्ग पर !

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  5. आह! क्या बात कही है...! सत्य... सटीक!!!

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जो मन में आ रहा है कह डालिए।