जिसमें लगते पहिए चार
सीटें इसकी गद्देदार
हरदम चलने को तैयार
पापा को दफ़्तर ले जाए
विद्यालय मुझको पहुँचाए
शाम ढले बाजार घुमाए
फिर हम सबको घर ले आए
जब मैं खूब कमाऊँगा
बड़ी कार ले आऊँगा
माँ, पा को बैठाऊँगा
दूर दूर ले जाऊँगा
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इस बालगीत को आप मेरे पुत्र नव्य की आवाज़ में सुन सकते हैं। सुनने के लिए नीचे दी गई कड़ी पर जाएँ।
जब मैं खूब कमाऊँगा
जवाब देंहटाएंबड़ी कार ले आऊँगा
माँ, पा को बैठाऊँगा
दूर दूर ले जाऊँगा... bilkul aisa hi ho
शुक्रिया रश्मि प्रभा जी
हटाएंबहुत सुन्दर ||
जवाब देंहटाएंदो सप्ताह के प्रवास के बाद
संयत हो पाया हूँ ||
बधाई ||
शुक्रिया रविकर जी
हटाएंबहुत सुंदर बाल-रचना.
जवाब देंहटाएंशुक्रिया शन्नो जी
हटाएंVery nice
जवाब देंहटाएंशुक्रिया
हटाएंbahut achchhi hai
जवाब देंहटाएंशुक्रिया नारायण जी
हटाएंbahut achchhi rachana hai
जवाब देंहटाएंशुक्रिया
हटाएंबहुत सुंदर बालगीत, हर बच्चे की मन की बात हैं इसमें.
जवाब देंहटाएंशुक्रिया पंडित जी
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