एक ऐसा भी करीबी यार होना चाहिए
आइना लेकर खड़ा हर बार होना चाहिए
घी अकेला क्या करेगा आग के बिन होम में
है ग़ज़ल तो भाव का शृंगार होना चाहिए
कह रहे हैं छंद तुलसी, सूर, मीरा के सदा
इश्क है तो इश्क का इजहार होना चाहिए
लाख हो खुशबू चमन में भूख मिट पाती नहीं
कुछ गुलों को भी यहाँ फलदार होना चाहिए
इस कदर बदबू सियासत से उठे लगता यही
हर सियासतदाँ यहाँ बीमार होना चाहिए
टूटटर अब खून के रिश्ते हमें सिखला रहे
प्रेम हर संबंध का आधार होना चाहिए
शुभकामनाएं||
जवाब देंहटाएंबहुत ही बढ़िया ||
बधाई |
"हर सियासतदाँ यहाँ बीमार होना चाहिए"
जवाब देंहटाएंबहुत-से लोग आप और हम जैसे हो गये तो एक-न-एक दिन तो प्रभु को अवश्य सुननी पड़ेगी हमारी ! :-)
पहला शेर भी बहुत उम्दा है !
इस कदर बदबू सियासत से उठे लगता यही
जवाब देंहटाएंहर सियासतदाँ यहाँ बीमार होना चाहिए
टूटटर अब खून के रिश्ते हमें सिखला रहे
प्रेम हर संबंध का आधार होना चाहिए
बेहतरीन अशआर सारे आपके ,हम हुए हैं आज आशिक आपके .
वाह.. बहुत खूब
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर
sundar rachna ,badhai
जवाब देंहटाएंsundar rachna ,badhai
जवाब देंहटाएंवाह धर्मेन्द्र भाई,
जवाब देंहटाएंबेहतरीन अशआर कहे हैं आपने...
शानदार गज़ल... सादर बधाई...
behtarin ghazal..dil ko choone wali baat..hardik badhayee
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