आदर्श पदार्थ
केवल एक कल्पना है
लेकिन आदर्श पदार्थ की कल्पना किए बिना
लगभग असंभव है
सामान्य पदार्थ के गुणों को समझना
और सामान्य पदार्थ के गुणों को समझे बिना
असंभव है
वैज्ञानिक, सामाजिक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक उन्नति
आदर्श पदार्थ
हर परिस्थिति में
दिए गए नियमों के अनुसार कार्य करता है
समीकरणों में बँधा रहता है
मगर सामान्य परिस्थियों में
नहीं पाए जाते आदर्श पदार्थ
सामान्य ताप और दाब पर
पाए जाते हैं सामान्य पदार्थ
और इन्हीं से निर्मित होते हैं
पुल, हवाई जहाज, इमारतें, कम्प्यूटर, समाज......
यानि इस धरती पर मौजूद सारी वस्तुएँ
यहाँ तक कि वह ताप और दाब भी
जिस पर आदर्श पदार्थ अस्तित्व में आ सकते हैं
इन्हीं सामान्य पदार्थों से प्राप्त किए जाते हैं
किंतु अक्सर
सामान्य पदार्थों को समझने के लिए
प्रयोग की जाती हैं
आदर्श पदार्थों के लिए बनाई गई समीकरणें
सामान्य पदार्थों के लिए उचित संशोधन लगाए बिना
क्यूँकि संशोधित करने के बाद
प्राप्त समीकरणें को समझना
मुश्किल हो जाता है
और सब में इतना साहस नहीं होता
कि वो इन मुश्किल समीकरणों को समझने की कोशिश करें
मगर जब तक
आम इंसान इन जटिल समीकरणों से
डरते रहेंगे
दूर भागते रहेंगे
आसान समीकरणों और उनके आसान हल की तलाश में
तब तक वो करते रहेंगे आश्चर्य
इस बात पर
कि सामान्य पदार्थ
आदर्शों जैसा व्यवहार क्यों नहीं करते
उन्हें यह छोटी सी बात भी समझ नहीं आएगी
कि जिस ताप और दाब पर
आदर्श पदार्थ अस्तित्व में आ सकते हैं
उसपर संभव ही नहीं होता
जिंदा रह पाना
यकीनन ग्रेविटॉन जैसा ही होता है प्रेम का कण। तभी तो ये मोड़ देता है दिक्काल को / कम कर देता है समय की गति / इसे कैद करके नहीं रख पातीं / स्थान और समय की विमाएँ। ये रिसता रहता है एक दुनिया से दूसरी दुनिया में / ले जाता है आकर्षण उन स्थानों तक / जहाँ कवि की कल्पना भी नहीं पहुँच पाती। इसका प्रत्यक्ष प्रमाण अभी तक नहीं मिला / लेकिन ब्रह्मांड का कण कण इसे महसूस करता है।
अच्छे व प्यारे शब्द।
जवाब देंहटाएंवाह भई वाह आपने कितने प्यारे ढंग से समझााया कि आदर्श स्थिित कोरी कल्पना है
जवाब देंहटाएंउन्हें यह छोटी सी बात भी समझ नहीं आएगी
कि जिस ताप और दाब पर
आदर्श पदार्थ अस्तित्व में आ सकते हैं
उसपर संभव ही नहीं होता
जिंदा रह पाना
आभार
आप ने अपनी खुद की एक विशेष राह तलाश ली लगती है धर्मेन्द्र भाई
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