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रविवार, 11 सितंबर 2011

ग़ज़ल : होलोग्राम लगा नकली, कहते सब मैं ही असली

होलोग्राम लगा नकली
कहते सब मैं ही असली

देखी सोने की चिड़िया
कोषों की तबियत मचली

जो कुछ छोड़ा भँवरों ने
उसको खाती है तितली

जिंदा कर देंगे सड़ मत
कह गिद्धों ने लाश छली

मंत्री जी की फ़ाइल से
केवल मँहगाई निकली

कब तक सच मानूँ इसको
“दुर्घटना से देर भली”

अब पानी बदलो ‘सज्जन’
या मर जाएगी मछली

2 टिप्‍पणियां:

  1. अब पानी बदलो ‘सज्जन’||

    बहुत बढ़िया प्रस्तुति ||
    आपको बहुत बहुत बधाई |

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  2. धर्मेन्द्र भाई, छोटी बहर पर आप के द्वारा कही गयी एक और खूबसूरत ग़ज़ल। बधाई मित्र। 'तितली', 'गिद्ध-लाश' और 'दुर्घटना' वाले शेर एक्सेप्शनल हैं, जतन कीजिएगा इनका।

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