आँसू और पसीना दोनों
पानी हैं नमकीन
लेकिन बदबू
सिर्फ पसीने से आती है
क्योंकि पसीना
बुरे काम में भी रिसता है
किंतु नहीं आँसू
यकीनन ग्रेविटॉन जैसा ही होता है प्रेम का कण। तभी तो ये मोड़ देता है दिक्काल को / कम कर देता है समय की गति / इसे कैद करके नहीं रख पातीं / स्थान और समय की विमाएँ। ये रिसता रहता है एक दुनिया से दूसरी दुनिया में / ले जाता है आकर्षण उन स्थानों तक / जहाँ कवि की कल्पना भी नहीं पहुँच पाती। इसका प्रत्यक्ष प्रमाण अभी तक नहीं मिला / लेकिन ब्रह्मांड का कण कण इसे महसूस करता है।
बहुत खूब ! लेकिन मेहनत के पसीने की खुशबू का ज़वाब नहीं.
जवाब देंहटाएंManav shareer se nikalne waale. Do dravon ka adbhut visleshan.
जवाब देंहटाएंShayad gareeb ka paseena badbu nahi karta.
Kabhi use deo lagaate dekha hai kya?