जिंदा मुर्दों को जरा राह दिखाई जाए
आज कंधों पे कोई लाश उठाई जाए
चाँद के दिल में जरा आग लगाई जाए
आओ सूरज से कोई रात बचाई जाए
आज फिर नाज़ हो आया है ख़ुदी पे मुझको
आज खुद से भी जरा आँख मिलाई जाए
खोजते खोजते मिल जाए सुहाना बचपन
आज बहनों की कोई चीज छुपाई जाए
आज मस्जिद में न था रब मैं ढूँढ़कर हारा
आज मयखाने में फिर रात बिताई जाए
आज मस्जिद में न था रब मैं ढूँढ़कर हारा
जवाब देंहटाएंआज मयखाने में फिर रात बिताई जाए
--वाह वाह!! क्या बात है!!!
wah.....khubsurat rachana
जवाब देंहटाएंबहुत खूबसूरत गज़ल
जवाब देंहटाएंumda gazal.....
जवाब देंहटाएंhar sher behtareen.
वाह वाह बहुत सुंदर अहसास मुबारक हो
जवाब देंहटाएंbehtreen gazal....
जवाब देंहटाएंसमीर जी, अना जी, संगीता जी, सुरेंद्र जी, सुनील जी और सुषमा जी आप सबका बहुत बहुत धन्यवाद।
जवाब देंहटाएंखोजते खोजते मिल जाए सुहाना बचपन
जवाब देंहटाएंआज बहनों की कोई चीज छुपाई जाए
आज मस्जिद में न था रब मैं ढूँढ़कर हारा
आज मयखाने में फिर रात बिताई जाए
सारी ग़ज़ल ही मनभावन है, पर ये दो शेर तो हमारा दिल ही लूट ले गये धर्मेन्द्र भाई|
बहुत बहुत धन्यवाद नवीन भाई।
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