विरोध कायम रहे
इसके लिए जरूरी है
कि कायम रहे
अणुओं का कंपन
अणुओं का कंपन कायम रहे
इसके लिए जरूरी है
विद्रोह का तापमान
वरना ठंढा होते होते
हर पदार्थ
अंततः विरोध करना बंद कर देता है
और बन जाता है अतिचालक
उसके बाद
मनमर्जी से बहती है बिजली
बिना कोई नुकसान झेले
अनंत काल तक
यकीनन ग्रेविटॉन जैसा ही होता है प्रेम का कण। तभी तो ये मोड़ देता है दिक्काल को / कम कर देता है समय की गति / इसे कैद करके नहीं रख पातीं / स्थान और समय की विमाएँ। ये रिसता रहता है एक दुनिया से दूसरी दुनिया में / ले जाता है आकर्षण उन स्थानों तक / जहाँ कवि की कल्पना भी नहीं पहुँच पाती। इसका प्रत्यक्ष प्रमाण अभी तक नहीं मिला / लेकिन ब्रह्मांड का कण कण इसे महसूस करता है।
Nice one Dharmendra Ji! Poetry related to Super Conductors.. :-)
जवाब देंहटाएंवैज्ञानिक द्रष्टिकोण से आक्रोश को व्यक्त करना बहुत सुंदर ....
जवाब देंहटाएंkya kahane .....wah ....satik aakrosh
जवाब देंहटाएंइंजीनियर हावी होने लगा है कवि पर, ये एक अच्छा संकेत भी हो सकता है| बधाई मित्र|
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