काश यादों को करीने से लगा पाता मैं
तेरी यादों के सभी रैक हटा पाता मैं ॥१॥
एक लम्हा जिसे हम दोनों ने हर रोज जिया
काश उस लम्हे की तस्वीर बना पाता मैं ॥२॥
मेरे कानों में पढ़ा प्रेम का कलमा तुमने
काश अलफ़ाज़ वो सोने से मढ़ा पाता मैं ॥३॥
एक वो पन्ना जहाँ तुमने मैं हूँ गैर लिखा
काश उस पन्ने का हर लफ़्ज़ मिटा पाता मैं ॥४॥
दिल की मस्जिद में जिसे रोज पढ़ा करता हूँ
आयतें काश वो तुझको भी सुना पाता मैं ॥५॥
दिल की मस्जिद में जिसे रोज पढ़ा करता हूँ
जवाब देंहटाएंआयतें काश वो तुझको भी सुना पाता मैं ॥५॥
बहुत सुन्दर ...अच्छी रचना
एक लम्हा जिसे हम दोनों ने हर रोज जिया
जवाब देंहटाएंकाश उस लम्हे की तस्वीर बना पाता मैं ....
आदरणीय भाई जी किस शेर को कोट करूं यहाँ... हर शेर जानलेवा है हर अल्फाज़ खंजर है मुरीद बना लिया आपकी इस मोहक और दर्द से भरी ग़ज़ल ने .
चर्चा मंच के साप्ताहिक काव्य मंच पर आपकी प्रस्तुति मंगलवार 19 - 04 - 2011
जवाब देंहटाएंको ली गयी है ..नीचे दिए लिंक पर कृपया अपनी प्रतिक्रिया दे कर अपने सुझावों से अवगत कराएँ ...शुक्रिया ..
http://charchamanch.blogspot.com/
बहुत ही सुंदर गज़ल भाई धर्मेन्द्र जी बधाई
जवाब देंहटाएंएक लम्हा जिसे हम दोनों ने हर रोज जिया
जवाब देंहटाएंकाश उस लम्हे की तस्वीर बना पाता मैं
... shabd shabd tasweer hi to hai , bahut hi badhiyaa
एक वो वर्क़ जहाँ तुमने मैं हूँ गैर लिखा
जवाब देंहटाएंकाश उस वर्क़ का हर लफ़्ज़ मिटा पाता मैं ॥४॥
कुछ लफ़्ज कभी नही हटाये जा सकते…………बेहतरीन गज़ल्।
bhut hi khubsurat gazal...
जवाब देंहटाएंसुन्दर बात !
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी ग़ज़ल धर्मेन्द्र जी !
जवाब देंहटाएंहर शेर बेहतरीन ...
bahut bahut umda gazal...dil ki baate dil ko chhoo hi jati hain.
जवाब देंहटाएंआयतें काश वो सुना पाता मैं ...
जवाब देंहटाएंसुना तो रही है कविता ...
खूबसूरत भावाभिव्यक्ति !
आदरणीय संगीता जी, आनंद जी, जयकृष्ण राय जी, रश्मि जी, वन्दना जी, सुषमा जी, सुरेन्द्र जी, अनामिका जी, बाबुषा जी और गीत जी ग़ज़ल पसंद करने के लिए आप सबका बहुत बहुत धन्यवाद।
जवाब देंहटाएंbahut ही खुबसूरत ग़ज़ल कही आपने... सादर...
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत शुक्रिया हबीब साहब
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