देश की हर नदी को
धीरे धीरे गंदा कर दिया
कारखानों ने
इतना गंदा
कि उनका पानी पीने लायक नहीं बचा
फिर कारखाने के छोटे भाइयों ने
शुरू किया
पहाड़ों से पानी भरकर
उसे मैदानों में बेचने का सिलसिला
और जो पानी मुफ़्त मिला करता था
आज बोतलों में बिकता है।
हवाओं को भी धीरे धीरे
गंदा कर रहे हैं कारखाने
पता नहीं आने वाला वक्त
क्या दिन दिखाएगा?
यकीनन ग्रेविटॉन जैसा ही होता है प्रेम का कण। तभी तो ये मोड़ देता है दिक्काल को / कम कर देता है समय की गति / इसे कैद करके नहीं रख पातीं / स्थान और समय की विमाएँ। ये रिसता रहता है एक दुनिया से दूसरी दुनिया में / ले जाता है आकर्षण उन स्थानों तक / जहाँ कवि की कल्पना भी नहीं पहुँच पाती। इसका प्रत्यक्ष प्रमाण अभी तक नहीं मिला / लेकिन ब्रह्मांड का कण कण इसे महसूस करता है।
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