धँस कर दिल में विष फैलाता तेरा कँगना था
पत्थर ना हो जाता तो मेरा दिल सड़ना था ॥१॥
मदिरामय कर लूट लिया जिसने वो गैर नहीं
दिल में मेरे रहने वाला मेरा अपना था ॥२॥
कर आलिंगन मुझको जब रोई वो भावुक हो
जाने पल वो सच था या फिर कोई सपना था ॥३॥
बारी बारी साथ मेरा हर रहबर छोड़ गया
एक मुसाफिर था मैं मुझको फिर भी चलना था ॥४॥
जाने अब मैं जिंदा हूँ या गर्म-लहू मुर्दा
प्यार जहर में ना पाता तो मुझको मरना था ॥५॥
फर्क नहीं था जीतूँ या हारूँ मैं इस रण में
अपने दिल के टुकड़े से ही मुझको लड़ना था ॥६॥
यकीनन ग्रेविटॉन जैसा ही होता है प्रेम का कण। तभी तो ये मोड़ देता है दिक्काल को / कम कर देता है समय की गति / इसे कैद करके नहीं रख पातीं / स्थान और समय की विमाएँ। ये रिसता रहता है एक दुनिया से दूसरी दुनिया में / ले जाता है आकर्षण उन स्थानों तक / जहाँ कवि की कल्पना भी नहीं पहुँच पाती। इसका प्रत्यक्ष प्रमाण अभी तक नहीं मिला / लेकिन ब्रह्मांड का कण कण इसे महसूस करता है।
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कर आलिंगन मुझको जब रोई वो भावुक हो
जवाब देंहटाएंजाने पल वो सच था या फिर कोई सपना था ॥३
खुबसूरत शेर मुबारक हो
aapki is kavita ki jitni tarif ki jaye.kam hai.......bhav prabal kavita ...................ati sundar
जवाब देंहटाएंhttp://kavyana.blogspot.com/2011/03/blog-post_31.html
कर आलिंगन मुझको जब रोई वो भावुक हो
जवाब देंहटाएंजाने पल वो सच था या फिर कोई सपना था ॥३॥
बारी बारी छोड़ गया हर रहबर साथ मेरा
एक मुसाफिर था मैं मुझको फिर भी चलना था ॥४॥
..
एक से एक उम्दा शेर ...और उतनी ही गहराई ...मुबारक हो बंधुवर !
आपकी उम्दा प्रस्तुति कल शनिवार (2.04.2011) को "चर्चा मंच" पर प्रस्तुत की गयी है।आप आये और आकर अपने विचारों से हमे अवगत कराये......"ॐ साई राम" at http://charchamanch.blogspot.com/
जवाब देंहटाएंचर्चाकार:Er. सत्यम शिवम (शनिवासरीय चर्चा)
खूबसूरत गज़ल
जवाब देंहटाएंजाने अब मैं जिंदा हूँ या गर्म-लहू मुर्दा
जवाब देंहटाएंप्यार जहर में ना पाता तो मुझको मरना था ॥
यही तो पता नही आज कौन ज़िन्दा है और कौन नही……………एक दिल को छू जाने वाली गज़ल के लिये बधाई स्वीकारें।
बारी बारी साथ मेरा हर रहबर छोड़ गया
जवाब देंहटाएंएक मुसाफिर था मैं मुझको फिर भी चलना था
जाने अब मैं जिंदा हूँ या गर्म-लहू मुर्दा
प्यार जहर में ना पाता तो मुझको मरना था
सभी शेर एक से बढ़कर एक.....
खूबसूरत गज़ल ...
bahut sundar rachna ...badhai
जवाब देंहटाएंउफ़ क्या मतला और क्या एक से बढ़ कर एक शेर| बहुत खूब धर्मेन्द्र भाई| बधाई स्वीकार करें|
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