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शुक्रवार, 11 मार्च 2011

कविता: कार्बन

चार भुजाएँ होती हैं कार्बन परमाणु के पास
जिनमें चार इलेक्ट्रॉन होते हैं
जिसे वो किसी भी परमाणु के साथ
जिसको इलेक्ट्रॉन की जरूरत हो
हर समय साझा करने के लिए तैयार रहता है
मगर कार्बन किसी अन्य परमाणु को
अपने इलेक्ट्रॉन छीनने नहीं देता
केवल साझा करने देता है
यही वो गुण है
जिसके कारण
कार्बन से बने हुए विभिन्न यौगिकों के अणु
धरती पर जीवन का आधार बने हुए हैं;

कार्बन छोटा है मगर मजबूत है
दूसरों की मदद करता है
मगर अपनी रक्षा स्वयं करने में सक्षम है
मुट्ठी भर इलेक्ट्रान ही हैं उसके पास
मगर बड़े बड़े धनवान उससे साझा करने आते हैं
उसे किसी की सहानुभूति नहीं चाहिए
न ही किसी नेता के झूठे वादे चाहिए
वह स्वयं में परिपूर्ण है
दूसरे परमाणुओं की मदद
वह प्रसिद्ध होने के लिए नहीं करता
क्योंकि सबसे कीमती
सबसे प्रसिद्ध
“हीरा”
वह केवल अपने दम पर बनाता है।
पता नहीं इतने सारे कार्बन परमाणुओं से मिलकर
बनने के बावजूद
हम इंसानों में उसका कोई गुण क्यों नहीं आया?

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