लुटके मस्जिद से हम नहीं आते
मयकदे में कदम नहीं आते
कोई बच्चा कहीं कटा होगा
गोश्त यूँ ही नरम नहीं आते
आग दिल में नहीं लगी होती
अश्क इतने गरम नहीं आते
भूख से फिर कोई मरा होगा
यूँ ही जलसों में रम नहीं आते
प्रेम में गर यकीं हमें होता
इस जहाँ में धरम नहीं आते
कोई अपना ही बेवफ़ा होगा
यूँ ही आँगन में बम नहीं आते
आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
जवाब देंहटाएंप्रस्तुति भी कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
कल (24-2-2011) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
अवगत कराइयेगा और हमारा हौसला बढाइयेगा।
http://charchamanch.blogspot.com/
कोई बच्चा कहीं कटा होगा
जवाब देंहटाएंगोश्त यूँ ही नरम नहीं आते
क्या कहें..हरेक शेर अंतर्मन को झकझोर देता है...बहुत सटीक और सार्थक गज़ल..
कोई अपना ही बेवफा होगा
जवाब देंहटाएंयूँ ही आँगन में बम नहीं आते
उम्दा शेर...बढ़िया ग़ज़ल