देश के कण कण से औ’ जन जन से मुझको प्यार है
जिसके दिल से ये सदा आए न वो गद्दार है ।१।
अंग अपना ही कभी था रंजिशें जिससे हुईं
लड़ रहे हम युद्ध जिसकी जीत में भी हार है ।२।
इश्क ने तेरे मुझे ये क्या बनाकर रख दिया
लौट कर आता उसी चौखट जहाँ दुत्कार है ।३।
है अगर हीरा तुम्हारे पास तो कोशिश करो
पत्थरों से काँच को यूँ छाँटना बेकार है ।४।
हों हवाओं में मनोहर खुशबुएँ कितनी भी पर
नीर से ही मीन की है जिंदगी, संसार है ।५।
तैरना तू सीख ले पानी ने लाशों से कहा
अब भँवर की ओर जाती हर नदी की धार है ।६।
देश की मिट्टी थी खाई मैंने बचपन में कभी
इसलिए अब चाहतों की खून से तकरार है ।७।
मारने वाला पकड़ में आ न पाया तो कहा
इन गरीबों पर पड़ी भगवान की ये मार है ।८।
हम हुए इतने विषैले हों अमर इस चाह में
कल तलक था कोबरा जो अब हमारा यार है ।९।
न्याय कैसे देख पाए आँख पर पट्टी बँधी
एक पलड़े की तली में अब जियादा भार है ।१०।
dharmendra ji, I am a editer of one news paper
जवाब देंहटाएं"Godwad Jyoti" first ladies paper from Rajsthan.If you want to help me ,please send your any story,poem,thingking on my [email protected]\[email protected]