प्रेम हो गया आज नमकीन
खर्च सोडियम करता रहता है
अपना आवेश
पाकर उसको झटक रही क्लोरीन
खुशी से केश
लेनदेन का यह आकर्षण
हुआ बड़ा रंगीन
कभी किया करते थे कार्बन
ऑक्सीजन साझा
प्रेम हुआ करता था मीठा तब
गुड़ से ज्यादा
ढ़ाई आखर प्रेम मिट गया
शब्द बचे हैं तीन
दुनिया के ज्यादातर अणु साझे
से बनते हैं
लेन देन के बंधन पानी तक
से मिटते हैं
जिस बंधन पर सृष्टि टिकी वो
लौटेगा इक दिन
bahut hi majedaar kavita.....
जवाब देंहटाएं*काव्य-कल्पना*