जो पीते थे
वो पिलाकर
जो खाते थे
वो खिलाकर
जो चोर थे
वो चुराकर
जो तेल लगाते थे
वो तेल लगाकर
जो चालू थे
वो सबको बेवकूफ बनाकर
जिंदगी की दौड़ में आगे निकल गए
और धनवान बन गए
जिनको इनमें से कुछ भी नहीं आता था
वो जिंदगी की दौड़ में बहुत पीछे रह गए
और इंसान बन गए।
जिनको इनमें से कुछ भी नहीं आता था
जवाब देंहटाएंवो जिंदगी की दौड़ में बहुत पीछे रह गए
और इंसान बन गए।
धर्मेन्द्र भाई, बड़ी ही करारी चोट की है आपने चापलूसी पर और साथ ही प्रतिपादित किया है इंसानियत का सिद्धांत| बधाई| आपकी कविता के सम्मान में मेरी दो पंक्तियाँ:-
जो जी हजूरी कर रहे, वो कामयाबी पा रहे|
निष्पक्ष जो भी लोग हैं, वो सिरफिरे - नाकाम हैं||