भगवान के घर में भी लूट पाट है
अत्याचार है,
बुराइयाँ हैं,
बलात्कार है,
भ्रष्टाचार है,
और भगवान भी
इन्हें खत्म कर पाने में असमर्थ है
वरना क्या जरूरत है भगवान को
अच्छे लोगों को इतनी जल्दी अपने पास बुलाने की
और बुरे लोगों को इस दुनिया में जिन्दा छोड़ने की।
यकीनन ग्रेविटॉन जैसा ही होता है प्रेम का कण। तभी तो ये मोड़ देता है दिक्काल को / कम कर देता है समय की गति / इसे कैद करके नहीं रख पातीं / स्थान और समय की विमाएँ। ये रिसता रहता है एक दुनिया से दूसरी दुनिया में / ले जाता है आकर्षण उन स्थानों तक / जहाँ कवि की कल्पना भी नहीं पहुँच पाती। इसका प्रत्यक्ष प्रमाण अभी तक नहीं मिला / लेकिन ब्रह्मांड का कण कण इसे महसूस करता है।
चूँकि सारी दुनिया ही भगवान् का घर है और हर जगह ऐसा होता है इसलिए मैं भी आपसे सहमत हूँ .
जवाब देंहटाएंबहुत ही उम्दा और सार्थक...
आभार..
अच्छी पंक्तिया लिखी है ........
जवाब देंहटाएंइसे पढ़े और अपने विचार दे :-
क्यों बना रहे है नकली लोग समाज को फ्रोड ?.
हम्म!बहुत अच्छी प्रस्तुति। राजभाषा हिन्दी के प्रचार-प्रसार में आपका योगदान सराहनीय है।
जवाब देंहटाएंबदलते परिवेश में अनुवादकों की भूमिका, मनोज कुमार,की प्रस्तुति राजभाषा हिन्दी पर, पधारें