दोस्ती एक कविता है,
एक सुंदर सी कविता,
क्योंकि इसमें शब्द अपना वो अर्थ नहीं रखते,
जो शब्द कोश में होते हैं;
शब्दों का अर्थ उनमें अन्तर्निहित
भावों से समझा जाता है,
जैसे गाली प्यार को व्यक्त करती है,
अनौपचारिकता सम्मान का प्रतीक होती है,
गुस्सा अपनापन दर्शाता है;
और प्यार,
प्यार तो अनकही कविता है,
जहाँ आँखों से ही सब कुछ कह दिया जाता है,
और समझ लिया जाता है;
जहाँ इशारों ही इशारों में,
दिल का हाल बयाँ हो जाता है;
आजकल दोस्ती तो वैसी ही है,
मगर प्यार थोड़ा बदल गया है,
जब तक बार बार व्यक्त ना किया जाय,
लिख लिख कर बताया ना जाय,
लोग प्यार का विश्वास ही नहीं करते,
मुझे समझ नहीं आता,
कि बार बार लिखकर,
या कहकर,
हम अपने प्यार की सत्यता का यकीन,
आखिर दिलाते किसको हैं,
दूसरों को,
या फिर खुद को ही।
यकीनन ग्रेविटॉन जैसा ही होता है प्रेम का कण। तभी तो ये मोड़ देता है दिक्काल को / कम कर देता है समय की गति / इसे कैद करके नहीं रख पातीं / स्थान और समय की विमाएँ। ये रिसता रहता है एक दुनिया से दूसरी दुनिया में / ले जाता है आकर्षण उन स्थानों तक / जहाँ कवि की कल्पना भी नहीं पहुँच पाती। इसका प्रत्यक्ष प्रमाण अभी तक नहीं मिला / लेकिन ब्रह्मांड का कण कण इसे महसूस करता है।
बहुत सुन्दर ...दोस्ती और प्यार एक कविता ...अच्छी सोच
जवाब देंहटाएंसत्य वचन .............सच्ची मित्रता का कोई पर्याय नही है ..........बढ़िया प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंकभी कभी भावनायों को व्यक्ति करना बी प्यार है
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