मेरी नजर से भी देखो खुद को कभी।
मेरे लिए तो तुम्हीं इस अनन्त ब्रह्मांड का केन्द्र हो,
तुमसे ही मेरे ब्रह्मांड ने जन्म लिया है,
और तुम्हीं इसको हर पल विस्तृत कर रही हो,
एक दिन ये समाप्त हो जाएगा,
तुम्हारे साथ ही।
कितनी सारी खुशियाँ दी हैं तुमने मुझे,
तारों की तरह टिमटिमाती हुई,
और वो अपना नन्हा सूर्य,
जो हमारे इस ब्रह्मांड को रोशनी से भर रहा है,
काश! तुम मेरी कल्पनाओं को देख सकतीं।
मैं कितना भी तेज भागूँ,
तुम्हारे चारों ओर ही घूमता रहूँगा,
मैं तुमसे दूर कैसे जा सकता हूँ,
तुम्हारे प्रेम के गुरुत्वाकर्षण ने मुझे बाँध रक्खा है,
मैं अपनी सारी ऊर्जा प्राप्त करता हूँ तुमसे ही।
खूबसूरत अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंbahut khoob bahut sunder kavita hai
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