प्रयोग कभी अच्छा या बुरा नहीं होता,
अच्छा या बुरा प्रयोग का परिणाम होता है,
और परिणाम का पता तब तक नहीं लग सकता,
जब तक कि प्रयोग न किया जाय।
तो प्रयोग से मत डरिये,
बस इतना प्रयास कीजिए,
कि यदि परिणाम बुरा हो,
तो उसका असर कम से कम रहे,
और ऐसा प्रयोग फिर न होने पाये।
यकीनन ग्रेविटॉन जैसा ही होता है प्रेम का कण। तभी तो ये मोड़ देता है दिक्काल को / कम कर देता है समय की गति / इसे कैद करके नहीं रख पातीं / स्थान और समय की विमाएँ। ये रिसता रहता है एक दुनिया से दूसरी दुनिया में / ले जाता है आकर्षण उन स्थानों तक / जहाँ कवि की कल्पना भी नहीं पहुँच पाती। इसका प्रत्यक्ष प्रमाण अभी तक नहीं मिला / लेकिन ब्रह्मांड का कण कण इसे महसूस करता है।
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