रंगीन चमकीली चीजें,
प्रकाश के उन रंगों को,
जो उनके जैसे नहीं होते,
सोख लेती हैं,
और उनकी ऊर्जा से अपने रंग बनाती हैं।
और हम समझते हैं कि ये उनके अपने रंग हैं,
जिन्हें हम रंगीन वस्तुएँ कहते हैं,
वे दरअसल दूसरे रंगों की हत्यारी होती हैं।
केवल आइना ही है,
जो किसी भी रंग की ऊर्जा का इस्तेमाल,
अपने लिए नहीं करता,
सारे रंगों को जस का तस वापस लौटा देता है,
इसीलिए तो आइना हमें सच दिखाता है,
बाकी सारी वस्तुएँ,
केवल रंगबिरंगा झूठ बोलती हैं,
जो वस्तु जितनी ज्यादा चमकीली होती है,
वो उतना ही बड़ा झूठ बोल रही होती है।
यकीनन ग्रेविटॉन जैसा ही होता है प्रेम का कण। तभी तो ये मोड़ देता है दिक्काल को / कम कर देता है समय की गति / इसे कैद करके नहीं रख पातीं / स्थान और समय की विमाएँ। ये रिसता रहता है एक दुनिया से दूसरी दुनिया में / ले जाता है आकर्षण उन स्थानों तक / जहाँ कवि की कल्पना भी नहीं पहुँच पाती। इसका प्रत्यक्ष प्रमाण अभी तक नहीं मिला / लेकिन ब्रह्मांड का कण कण इसे महसूस करता है।
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