मेरा जिला मेरी रगों में बसा है,
मेरी यादें अक्सर रात के अँधेरों में,
घूमती हैं मेरे जिले की गलियों में,
वो स्कूल जिसमें मैंने अपने सात साल गुजारे,
आज भी वो मुझे खींच ले जाता है,
मेरे बचपन की शरारतों में,
वो कालेज जिसमें मैंने अपने सात साल गुजारे,
वो मुझे घसीट लेता है,
किशोरावस्था की मस्तियों में,
मेरे कितने सारे टुकड़े बिखरे पड़े हैं,
मेरे जिले के चप्पे चप्पे में,
और लोग कहते हैं,
इन सबको छोड़कर,
दिल्ली में मकान ले लो,
लखनऊ में मकान ले लो।
यकीनन ग्रेविटॉन जैसा ही होता है प्रेम का कण। तभी तो ये मोड़ देता है दिक्काल को / कम कर देता है समय की गति / इसे कैद करके नहीं रख पातीं / स्थान और समय की विमाएँ। ये रिसता रहता है एक दुनिया से दूसरी दुनिया में / ले जाता है आकर्षण उन स्थानों तक / जहाँ कवि की कल्पना भी नहीं पहुँच पाती। इसका प्रत्यक्ष प्रमाण अभी तक नहीं मिला / लेकिन ब्रह्मांड का कण कण इसे महसूस करता है।
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