मेरे कुछ मनमीत,
अम्ल, क्षार और गीत।
एक खट्टा है,
दूसरा कसैला है,
तीसरे के सारे स्वाद हैं।
पहला गला देता है,
दूसरा जला देता है,
तीसरा सारे काम कर देता है।
पहले दोनों को मिलाने पर,
बनते हैं लवण और पानी,
अर्थात खारा पानी,
अर्थात आँसू,
और तीनों को मिलाने पर,
बन जाता हूँ मैं।
यकीनन ग्रेविटॉन जैसा ही होता है प्रेम का कण। तभी तो ये मोड़ देता है दिक्काल को / कम कर देता है समय की गति / इसे कैद करके नहीं रख पातीं / स्थान और समय की विमाएँ। ये रिसता रहता है एक दुनिया से दूसरी दुनिया में / ले जाता है आकर्षण उन स्थानों तक / जहाँ कवि की कल्पना भी नहीं पहुँच पाती। इसका प्रत्यक्ष प्रमाण अभी तक नहीं मिला / लेकिन ब्रह्मांड का कण कण इसे महसूस करता है।
kya baat hai.... bahut sundar likha hai aapne
जवाब देंहटाएंबड़ी वैज्ञानिक कविता लिखी है ....
जवाब देंहटाएंअम्ल में लिटमस होता लाल,
जवाब देंहटाएंक्षार में होता नीला।
शोरे अम्ल में पड़े प्रोटीन,
बन जाए रंग पीला ॥