न कर तू कोशिशें तारों को छूने की मेरे हमदम,
सितारे दूर से अच्छे हैं छूने पर जला देंगे।
निकलना है, निकल जा तू, बगल से सारे तारों के,
जो इनके पास बैठा आग का गोला बना देंगे।
अँधेरे में चमकना इनकी फितरत और आदत है,
ये दिन की रौशनी में जाके मुँह अपना छिपा लेंगे।
ये इनकी टिमटिमाहट काम ना आयेगी कुछ तेरे,
जो इनसे रौशनी माँगो पता रवि का बता देंगे।
ये जब बूढ़े हैं हो जाते तड़पकर घुटके मरते हैं,
ये छू दें मरके भी तुझको तो मुर्दों सा बना देंगे।
यकीनन ग्रेविटॉन जैसा ही होता है प्रेम का कण। तभी तो ये मोड़ देता है दिक्काल को / कम कर देता है समय की गति / इसे कैद करके नहीं रख पातीं / स्थान और समय की विमाएँ। ये रिसता रहता है एक दुनिया से दूसरी दुनिया में / ले जाता है आकर्षण उन स्थानों तक / जहाँ कवि की कल्पना भी नहीं पहुँच पाती। इसका प्रत्यक्ष प्रमाण अभी तक नहीं मिला / लेकिन ब्रह्मांड का कण कण इसे महसूस करता है।
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