प्याज! क्यों रुलाता है मुझे तू आज भी।
अब तक तो मुझे आदत पड़ जानी चाहिए थी;
बिना रोये,
तुझे बर्दाश्त करने की हिम्मत आ जानी चाहिए थी;
पर तुझमें कुछ ऐसी बात है,
कि जब जब भी तुझे काटा जाता है,
काटने वाले की आँखों में आँसू,
तू ले ही आता है;
तुझे देखकर यही लगता है,
कि सारे घाव नहीं भर पाता समय भी,
प्याज! तू रुला देता है मुझको आज भी।
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