मैं नहीं मानता हूँ भगवन, तू बसता जग के कन-कन में।
तू नहीं मिला मुझको ईश्वर, मन्दिर, मस्जिद, गुरुद्वारों में,
मालाओं में, शिवलिंगों में, लोगों के ठाकुरद्वारों में,
मैंने देखा तुझको हँसते, नन्हें बच्चों के तन-मन में,
मैं नहीं मानता हूँ भगवन, तू बसता जग के कन-कन में।
मठ के सब सन्त-महन्तों से, हर धर्म-ग्रन्थ के खण्डों से,
मैं पूछ थका तेरा ऐड्रेस, मौलवी-पुजारी-पण्डों से,
तब मिला नाचते इक अंधे के मंजीरे की झन-झन में,
मैं नहीं मानता हूँ भगवन, तू बसता जग के कन-कन में।
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