पूछते नहीं,
राज्य की फाइलों से;
उम्र उनकी।
मक्खी गयी थी,
दफ्तर सरकारी;
मरी बेचारी।
खून चूस के,
जोंकें ये सरकारी;
माँस भी खातीं।
वादों का हार,
पहना के नेताजी;
हैं तड़ीपार।
घोंघे की गति,
सरकारी कामों से,
ज्यादा है तेज।
यकीनन ग्रेविटॉन जैसा ही होता है प्रेम का कण। तभी तो ये मोड़ देता है दिक्काल को / कम कर देता है समय की गति / इसे कैद करके नहीं रख पातीं / स्थान और समय की विमाएँ। ये रिसता रहता है एक दुनिया से दूसरी दुनिया में / ले जाता है आकर्षण उन स्थानों तक / जहाँ कवि की कल्पना भी नहीं पहुँच पाती। इसका प्रत्यक्ष प्रमाण अभी तक नहीं मिला / लेकिन ब्रह्मांड का कण कण इसे महसूस करता है।
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