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शुक्रवार, 30 अक्टूबर 2009

सहयात्री मिल जाते

सहयात्री मिल जाते!

 

इस जीवन यात्रा के क्षण दो-

क्षण तो मधुरिम हो जाते;

सहयात्री मिल जाते!

 

कुछ समीप की कुछ सुदूर-

की हो जातीं कुछ बातें;

सहयात्री मिल जाते!

 

वो कुछ कहते, हम कुछ-

कहते, हँसते और हँसाते;

सहयात्री मिल जाते!

 

क्षण भर के ही पर कुछ-

बन्धन औरों से बँध जाते;

सहयात्री मिल जाते।

 

कुछ पल उड़ते पंख

लगाकर यूँ ही आते-जाते;

सहयात्री मिल जाते।

 

इस लम्बी यात्रा के कुछ-

क्षण स्मृतियों में बस जाते;

सहयात्री मिल जाते।

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