आँसू तुम्हारे,
मेरे लिये बहे क्यों,
पराया हूँ मैं।
नशा हो गया,
जो मैंने पिया प्याला,
आँखो से तेरी।
छू दे प्यार से,
वो पत्थर को इंसा,
करे पल में।
मधुशाला हो,
न हों आँखें तेरी, तो
चढ़ती नहीं।
मधु है, या है
ये, अमृत का प्याला,
या लब तेरे।
बिजली गिरी,
न थी छत भी जहाँ,
उसी के यहाँ।
उँचा पहाड़,
बगल में है देखो,
गहरी खाई।
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