छोटे छोटे घर जब
हमसे लेता है बाजार
बनता बड़े मकानों का
विक्रेता है बाजार
इसका रोना इसका
गाना सब कुछ नकली है
ध्यान रहे सबसे
अच्छा अभिनेता है बाजार
मुर्गी को देता कुछ
दाने जिनके बदले में
सारे के सारे अंडे
ले लेता है बाजार
कैसे भी हो इसको
सिर्फ़ लाभ से मतलब है
जिसको चुनते
पूँजीपति वो नेता है बाजार
खून पसीने से
अर्जित पैसो के बदले में
सुविधाओं का जहर
हमें दे देता है बाजार
आज की विशेष बुलेटिन तीन महान विभूतियाँ और ब्लॉग बुलेटिन में आपकी इस पोस्ट को भी शामिल किया गया है। सादर .... आभार।।
जवाब देंहटाएंआपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टि की चर्चा कल मंगलवार १० /९ /१३ को राजेश कुमारी द्वारा चर्चा मंच पर की जायेगी आपका वहाँ हार्दिक स्वागत है ।
जवाब देंहटाएंउम्दा ग़ज़ल
जवाब देंहटाएंlatest post: यादें
सुन्दर ग़ज़ल।। आभार।
जवाब देंहटाएंनये लेख : विशेष लेख : विश्व साक्षरता दिवस
भारत से गायब हो रहे है ऐतिहासिक स्मारक और समाचार NEWS की पहली वर्षगाँठ।
बहुत सुन्दर प्रस्तुति। ।
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